Sunday, September 5, 2010

गेहू का गोदाम

हमारे गाव में एक गेहू का गोदाम है| गोदाम की जमीन तो बहुत  बड़ी है लेकिन नजाने गोदाम उतना बड़ा नहीं बनाया गया| गोदाम इतना छोटा क्यों बना इसके पीछे कई कहानिया और कई सच है| क्या कहानी और क्या सच यह तो इश्वर ही जनता है| लोग कहते थे की सरकारी कार्यालयों में तो गोदाम भी बहुत बड़ा है लेकिन गाव आते आते छोटा हो गया | जो छोटा मोटा गोदाम गाव पंहुचा उसे गाव के जिम्मेदार लोगो ने और छोटा कर दिया| लेकिन गोदाम के छोटा होने से गाव के बच्चे बड़े खुश थे, क्युकि बाकी बची जगह क्रिकेट के लिए बड़ी ही उपयोगी थी| 
गोदाम के आसपास की जगह गेहू तौलने के काम आती थी| ऐसा हम नहीं गोदाम वाले कहते थे हमने तो बस वहा क्रिकेट खेलते ही देखा था| जो ज्यादा पूछा तो कह देते "गेहू उगाते कितना हो जो गोदाम बड़ा चाहिए"| बात तो यह भी ठीक थी क्युकि अच्छी फसल के लिए बारिश समय से चाहिए, बारिश हुई तो अच्छे बीज चहिये, बीज मिले तो खाद चाहिए और खाद मिल गयी तो भगवान का आशीर्वाद चहिये| लेकिन इस साल हमारे गाव के किसानो ने नजाने क्या करामत की, गेहू की फसल बहुत अच्छी हुई| लेकिन अब फसल अच्छी हुई तो सरकार के पास पैसे नहीं थे खरीदने के लिए| ज्यादा फसल उगा के भी उतने ही पैसे क्युकि अब गेहू का मूल्य जो कम होगया| इस मेहनत का फायदा क्या? हमारे गाव के किसानो के पास सरकार पार दबाव बनाने का भी समय नहीं था| जितनी देर से फसल बिकेगी उतना ही ज्यादा ब्याज देना होगा| किसानो ने गेहू बेचा, पैसे लिए, कर्ज चुकाए, कपडे लिए, बच्चो को के लिए बड़े बड़े सपने देखे फिर उनके जरूरते पूरी करने की कोशिश की| यहाँ तक पहुचते पहुचते कुछ के पैसे खत्म होगये और जिनके बचे उन्होंने थोड़ी और जरुरत पूरी कर दी अपने बच्चो की| 
जितना गेहू गोदाम में आया उतना रखवा दिया और बाकी गोदाम के बाहर सड़क पार| हमने जाकर जब कहा सड़क पे क्यों रखा है तो बोले अभी गाड़ी आएगी उठा के लेजायेगी| हमे सब पता था गोदाम में काम करने वालो को क्रिकेट खेलने की जगह चाहिए थी इसीलिए उन्होंने सड़क में फेकवा दिया|  हमने जो ज्यादा बोला तो हमे समझाया गया| "ओमी भैय्या गेहू का क्या हर साल होता है और नहीं भी होता है तो इतना बड़ा देश है कही ना तो होगा| जो मानलो जो देश में ना भी हुआ तो वर्ल्ड बैंक से पैसा उधार लेके अमेरिका से खरीद लेंगे| अरे अमेरिका तो हमारे देश के लिए अलग से गेहू उगाता है जो हम सस्ते दामो में खरीद सके| कभी कभी तो गेहू के साथ कुछ अन्य पौधे जैसे गाजरघास भी फ्री में मिल जाते है  और फिर भी तुम्हे चिंता लगी पड़ी है गेहू की| अब क्रिकेट को देखो 1983 में वर्ल्ड कप जीते थे तबसे जीते भी नहीं,और कोई देश हमे कप जीत के तो देगा नहीं और सिर्फ 11 खिलाडी में ही कितना जोर लगयोगे| अगर गाव के बच्चे क्रिकेट खेलेंगे तो यह भी खिलाडी बनेंगे और हमारा देश वर्ल्ड कप जीतेगा " अब तुम्ही सोचो गेहू ज्यादा महत्वपूर्ण है या क्रिकेट|
अब गाव के जिम्मेदार लोग क्रिकेट के चिंता कर रहे थे और हमे चिंता थी कि सड़क पड़ा गेहू ख़राब ना होजाये| शायद एक बड़े संत को यह बात पहले से पता थी इसीलिए तो कह गए "प्रभु इतना दीजिये जामे कुटुंब समाये ..". क्युकि प्रभु ने अगर ज्यादा दिया भी तो, उसे तो सड़क पर ही ख़राब होना है|

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